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Showing posts from December, 2022

हमेशा जवान कैसे रहें, (how to stay young forever)

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    हमेशा जवान कैसे रहें  हमेशा जवान रहना हर इंसान चाहता है, लेकिन इसके लिए कोशिश बहुत कम लोग करते हैं। दरअसल, हमेशा जवान बने रहना चाहे सबका ख्वाब हो पर इस सपने को साकार करने के लिए आयुर्वेद के अनुसार जिन नियमों का पालन करना होता है उन्हें कम ही लोग जानते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं उन्हीं नियमों के बारे में जिनका पालन कर हमारे ऋषि-मुनि हमेशा स्वस्थ और जवां बने रहते थे। एक जादूगरनी की कहानी से हम सभी परिचित हैं, वह जवान बने रहने के लिए दूसरों की जवानी चुरा लेती थी। हम सभी चाहते हैं हमेशा तरोताजा और जवान रहना, लेकिन इसके लिए जादूगरनी की तरह किसी की जवानी चुराने की जरूरत नहीं हैं। कहने का मतलब साफ है कि आप पर भी एक उम्र के बाद बुढ़ापा हावि होने लगेगा। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि यह बुढ़ापा कुछ देर से आए, आपके चेहरे और शरीर की ताजगी कुछ ज्यादा दिनों तक मेंटेन रहे तो समय रहते आपको सावधानी बरतनी शुरू कर देनी चाहिए। दरअसल सही खानपान और कुछ खास चीजों से आप भी पा सकते हैं सदाबहार जवानी। इसके लिए आप कुछ नेचरल फूड्स को अपनी दिनचर्या में शामिल करना पड़ेगा। तो आइए पहले आपको ऐसे ही कुछ खाने-पीने

विटामिन-ई की ज्यदा खुराक़ से हो सकता है ये घातक परिणाम, (This can be fatal due to overdose of Vitamin-E)

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  विटामिन-ई की ज्यदा खुराक़ से हो सकता है ये घातक परिणाम लंदन : एक ताजा अध्ययन में विटामिन ई के लिए अनुपूरक आहार के सेवन से बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए गए अपने अध्ययन में पाया कि आक्सीकरण रोधी पदार्थ के रूप में सर्वाधिक इस्तेमाल किए जाने वाले दो पदार्थों, जिसमें विटामिन ई भी शामिल है, के कारण फेफड़े के कैंसर पर रोकथाम की बजाय यह बीमारी और तेजी से बढ़ती है।    अध्ययन के मुख्य लेखक तथा स्वीडन के गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में आणविक जीवविज्ञानी मार्टिन बर्गो और सह लेखक ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि इस शोध का मुख्य संदेश यह है कि ये आक्सीकरण रोधी पदार्थ कैंसर के खतरे को कम नहीं करते, बल्कि कुछ तरह के कैंसर रोगों को कुछ हद तक बढ़ाने का काम ही करते हैं।    बर्गो ने अपने सहयोगी के साथ ऐसे चूहों पर यह शोध किया, जिन्हें जीन संबंधी परिवर्तन के जरिए फेफड़े के कैंसर से संक्रमित होने वाला बना दिया गया था। एक शोध पत्रिका के अंक में प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार, उन्होंने पहले चूहों को एन-एसीटिलसिस्टीन (एनएसी) नामक आक्सीकरण रोधी पदार्थ देने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने

व्यायाम है जीवन का आयाम, (Exercise is the dimension of life)

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जैसे योगासन ज़रूरी हैं , वैसे ही   व्यायाम भी ज़रूरी हैं, आप योगासन को व्यायाम ना समझ बैठे , दोनों में अंतर हैं, हाँ यदि आप नियमित योग करते हो तो आपको कम व्यायामकी ज़रुरत हैं, रोज़ नियमित रूप से व्यायाम करे और अपने शरीर को निरोगी बनाये | नीचे कुछ तरह के व्यायाम बताये गए हैं , ये ज़रूरी नहीं की आप सभी को रोज़ करे , पर इनमे से कोई दो ज़रूर रोज़ करे, बाकि जब फुर्सत हो तो करे |  तेज़ कदमो से टहलना - तेज़ क़दमो से टहलना यानी ब्रिस्क वाकिंग बहुत अच्छा व्यायाम हैं, इससे शरीर पर ज्यादा जोर भी नहीं पड़ता और आसानी से हो जाता हैं, योगासन के साथ साथ हर रोज़ टहलने को अपने नियमित व्यायाम का हिस्सा बना ले |   स्विमिंग - पुरे अंग का बेहतरीन व्यायाम हैं - स्विमिंग . लेकिन ये सबके लिए आसनी से उपलब्ध नहीं और सभी लोग स्विमिंग करना भी नहीं जानते, अगर आपको स्विमिंग आती हैं और ये आपके लिए उपलब्ध है तो ज़रूर करे !! जॉगिंग - जॉगिंग को अपने नियमित व्यायाम का हिस्सा बनाये, रोज़ की जाने वाली जॉगिंग आपके शरीर को चुस्त रखती हैं,  दौड़ने की अपेक्षा ये आपको कम थकाती है पर पूरा फायदा देती हैं, समतल और साफ़ सुथरे जगह पर जॉगिंग कर

100 साल जिओ और स्वस्थ रहे, (live 100 years and be healthy)

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  100 साल जिओ और स्वस्थ रहे प्रिय मित्रों!  हजारों साल पहले हमारे ऋषियों ने मनुष्य के जीवन को 100 वर्ष बताया था।  आप कितने लोगों को जानते हैं जो सौ साल से जीवित हैं?  किसी भी बीमा एजेंट से पूछो - एक से भी नहीं !!  तो क्या ऋषियों द्वारा बताए गए 100 वर्ष मात्र एक कल्पना है?   नहीं ! यह कोई कल्पना नहीं है, सौ साल का मतलब यह नहीं है कि 1985 में जन्मा कोई व्यक्ति ठीक 2085 में मरेगा, 100 साल जीवन के चार भागों को व्यक्त करने का एक मानक है।  इसे अक्षरशः न लें।     हमारे ऋषि मुनि अत्यंत संयमित, नियमित, सरल, मोह, लोभ और क्रोध से दूर आध्यात्मिक जीवन व्यतीत करते थे।  उसके लिए 200 साल जीना भी कोई बड़ी बात नहीं है।  आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में उनके जैसा जीवन जीना संभव नहीं है, लेकिन पूरी तरह असंभव भी नहीं है- हम कोशिश कर सकते हैं।     जो आपको स्वस्थ और लंबा जीवन जीने में मदद करेगा।  हम आपको कोई कठिन तरीका नहीं बताएंगे और न ही कोई महंगा तरीका आजमाने के लिए कहेंगे।   बस छोटी-छोटी सावधानियां, छोटे-मोटे बदलाव, थोड़ी सी सतर्कता और एक नियमित जीवनशैली- ये इन ऐप्स का संग्रह है।   ठान लो तो कोई भी काम नामुम

योग से रहे निरोग, (stay healthy with uoga))

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  योग से रहे निरोग हजारो सालों से विकिसित हो रहे योग का लाभ आज पुरे विश्व ने पहचान लिया . जहां एक ओर शारीरिक विकास के लिए व्यायाम ज़रूरी हैं , अंदरूनी अंगों के सही सही कार्य सञ्चालन में योगासनों का बहुत ही योगदान हैं अगर आप अन्दर से स्वास्थ्य रहना चाहते हैं तो योग करे | सुबह उठकर करे सभी योगासन - सूर्योदय का समय योगासन के लिए सर्वोत्तम हैं सुबह सुबह योगासन करने से शरीर को दिन भर चलने की उर्जा मिलती हैं, हमारे शरीर में हो रहे सभी अंदरूनी क्रियाओ के सफल सञ्चालन में योगासन का बहुत योगदान होता हैं . आज जब सारा विश्व योग के महत्त्व को समझता है और उसका लाभ ले रहा हैं , हमारे देश में ही उसको मानने वालों की कमी हैं . आप अगर शतायु होना चाहते हैं योग को अपने दिनचर्या का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बना ले |     सूर्य नमस्कार से करे शुरुआत - सूर्यनमस्कार १२ तरह के योगासनों का समूह हैं . इसे रोज़ सुबह करे .     साथ में करे ये योगासन -   अनुलोम विलोम     कपाल भाती     मयूरासन     सर्वांगासन     हलासन     धनुरासन     नौकासन     और सबसे महत्वपूर्ण हैं - प्राणायाम, प्राणायाम प्राण वायु का योग हैं,

स्वस्थ रहने के 20 सूत्र, (20 tips to stay healthy)

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  दिनचर्या में थोड़ा-सा व आसान परिवर्तन आपको स्वस्थ व दीर्घायु बना सकता है। बशर्ते आप कुछ चीजों को जीवनभर के लिए अपना लें और कुछ त्याज्य चीजों को हमेशा के लिए दूर कर दें। इसके लिए अपनाइए सरल-सा 20 सूत्री जीवन।   1.    प्रतिदिन प्रातः सूर्योदय पूर्व (5 बजे) उठकर दो या तीन किमी घूमने जाएँ। सूर्य आराधना से दिन का आरंभ करें। इससे एक शक्ति जागृत होगी जो दिल-दिमाग को ताजगी देगी 2.    शरीर को हमेशा सीधा रखें यानी बैठें तो तनकर, चलें तो तनकर, खड़े रहें तो तनकर अर्थात शरीर हमेशा चुस्त रखें।   3.    भोजन से ही स्वास्थ्य बनाने का प्रयास करें। इसका सबसे सही तरीका है, भोजन हमेशा खूब चबा-चबाकर आनंदपूर्वक करें ताकि पाचनक्रिया ठीक रहे, इससे कोई भी समस्या उत्पन्न ही नहीं होगी।   4.    मोटापा आने का मुख्य कारण तैलीय व मीठे पदार्थ होते हैं। इससे चर्बी बढ़ती है, शरीर में आलस्य एवं सुस्ती आती है। इन पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।   5.    गरिष्ठ-भारी भोजन या हजम न होने वाले भोजन का त्याग करें। यदि ऐसा करना भी पड़े तो एक समय उपवास कर उसका संतुलन बनाएँ।  6.    वाहन के प्रति मोह कम कर उसका प्रयोग कम कर

सांसों की बदबू दूर करती है चाय, (tea removes bad breath)

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    सांसों की बदबू दूर करती है चाय क्या आपके साथी मित्र आपकी सांसों से बदबू आने की शिकायत करते हैं और आपके पास आकर बात करने से कतराते हैं? आप अगर इस तरह की शर्मनाक स्थिति से बचना चाहते हैं और अपने सांसों को तरोताजा रखना चाहते हैं तो आपको किसी महंगे माउथवॉश की जरूरत नहीं बल्कि सिर्फ अपने शरीर में जल का स्तर बनाए रखने की जरूरत है। विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थो का सेवन कर और चाय पीकर आप अपने सांसों की बदबू पर काबू पा सकते हैं। इन उपायों को अपनाकर आप सांसों की बदबू को दूर कर सकते हैं।     पानी : मुंह में थोड़ा पानी लेकर हल्के-हल्के कुल्ला करें फिर या तो पानी को पी जाएं या थूक दें। शरीर में जल का स्तर संतुलित रखकर भी सांसों की ताजगी को बनाए रखा जा सकता है, क्योंकि जब हमारे शरीर में जल का स्तर कम हो जाता है तो मुंह में लार का बनना कम हो जाता है। लार बनने से मुंह में पनपने वाले जीवाणु साफ होते रहते हैं, जिससे सांसों में बदबू नहीं पनपती।     विटामिन सी : संतरा या निंबू प्रजाति के अन्य मीठे फल, निंबू तथा सभी खट्टे रस वाले फलों में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाई जाती है, तथा ये फल सांसों क

alternative methods of medicine, (आयुर्विज्ञान की वैकल्पिक पद्धतियां)

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  आयुर्विज्ञान की वैकल्पिक पद्धतियां    1. आयुर्वेद जीवन का ज्ञान है जो मानव जीवन के लिए दुख के उत्तरदायी कारकों पर विस्तृत विचार करता है। साथ ही प्राकृतिक और हर्बल उत्पादों का इलाज में उपयोग कर पूर्ण जीवन काल हेतु स्वस्थ जीवन के लिए उपाय निर्देर्शित करता है। आयुर्वेद - अधिक जानकारी (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं)। 2. योग भौतिक मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ जीवन जीने की कला है। यह किसी भी प्रकार से प्रजाति, आयु, लिंग, धर्म, जाति अथवा धार्मिकता से बंधा हुआ नहीं है और उन सभी के द्वारा इसका पालन किया जा सकता है जो अच्छे रहन-सहन संबंधी शिक्षा प्राप्त करना चाहते है और सार्थक जीवन जीना चाहते है। योग - अधिक जानकारी (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं)। 3. नैचुरोपैथी अथवा प्रकृति द्वारा देखभाल का विश्वास है कि सभी बीमारियां शरीर में दूषित तत्वों के संग्रहित होने के कारण होती हैं और यदि इसे हटाने की संभावना हो तो उपचार हो जाता है अथवा राहत मिलती है। उपचार हेतु इसमें मुख्य विधियां वायु, जल, ताप गीली मिट्टी और स्थान है। नैचुरोपैथी अथवा प्रकृति द्वारा देखभा